Lal bahadur shastri
लाल बहादुर शास्त्री हिंदुस्तान के दूसरे वज़ीरे आज़म /PRIME MINISTER थे आज़ादी के बाद 1951 में वह पंडित जवाहर लाल नेहरू के वक्त में कांग्रेस पार्टी /PARTY के जनरल सेक्रटरी रहे। उन्हों ने 1952 ,1957 और 1962 के इलेक्शन में कांग्रेस पार्टी की भरी वोटों से जीत के लेया काफी मेहनत की। जवाहर लाल नेहरू की मौत के बाद शास्त्री जी ने 9/ जून 1964 को वज़ीरे आज़म / PRIME MINISTER की कुर्सी संभाली।
लाल बहादुर शास्त्री का जनम 2 /अक्टूबर 1904 को UP [उत्तर प्रदेश ]के शेहर मुग़ल सराए में हुआ। उन के पिताजी का नाम मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और माँ का नाम राम दुलारी था। उन के पिताजी पेशे से उस्ताद /teacher थे इस लिए लोग उन्हें मुंशी जी कहते थे। शास्त्री जी घर में सब से छोटे थे इस लिए घर के सब लोग प्यार से उन्हें 'नन्हें 'केह कर बुलाते थे। जब उन की उम्र 18 महीने थी तब ही उन के पिताजी चल बसे। पिताजी के जाने के बाद उन की माँ अपने मइके चली आइ। कुछ दिनों बाद उन के नाना भी चल बसे। लाल बहादुर शास्त्री की परवरिश और उन की तालीम में उन के खालू ''रघु नाथ प्रसाद '' ने उन की काफी मदद की। लाल बहादुर शास्त्री ने शुरवाती पढाई ''हरीश चंदर हाइ स्कूल '' से पूरी की। इस के बाद उन्हों ने KASHI UNIVERSITY से संस्कृत में 'शास्त्री' की डिग्री /DEGREE हासिल की। डिग्री /DEGREE पाने के बाद उन्हों ने लाल बहादुर श्रीवास्तव में से श्रीवास्तव हमेशा के लिए हटा दिया और इस की जगह शास्त्री लगा लिया। 1928 में शास्त्री जी की शादी मिर्ज़ा-पुर के गणेश प्रसाद की बेटी ललिता से हुई। शास्त्री जी की दो /2 बेटियां कुसुम और सुमन और बेटे 4 /चार हरी कृष्ण, अनिल, सुनील अशोक हैं।
लाल बहादुर शास्त्री UNIVERSITY से संस्कृत में शास्त्री डिग्री /DEGREE हासिल करने के बाद सेवक संघ /SOCIAL SERVICE से जुड़ गए। और अपने सियासी वक़्त की शुरवात की। शास्त्री जी गाँधी जी के ख्यालात को बोहत पसंद किया करते थे वह सच्चे गाँधीवादी थे। उन्हों ने आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लिया वह कई बार जेल गए। 1921 ,1930 की डांडी यात्रा ,और 1942 की भारत छोड़ो तेहरिक में शास्त्री जी शामिल थे अगस्त 1942 में भारत छोड़ो तेहरिक के दौरान जब गाँधी जी ने ''करो या मरो '' का नारा दिया तो उस वक़्त शास्त्री जी ने ''मरो नहीं मारो '' का नारा दिया। इसी वजह से वह 19 /अगस्त 1942 को गिरफ्तार हुए।
इन मौत आज भी एक पहेली बनी हुई है। लाल बहादुर शास्त्री को उन की सादगी /SIMPLICITY ,देश प्रेम, ईमानदारी के लिए आज भी हिंदुस्तानी उन्हें याद करते हैं। 1966 में लाल बहादुर शास्त्री को भारत का सब से बड़ा इनाम /PRIZE 'भारत रत्न 'दिया गया।
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