Posts

Showing posts with the label in hindi

VEG MACARONI PASTA

Image
उबालने वाली समग्री  गाजर - 1 प्याली [गोल टुकड़े करके ] मटर - 1 प्याली  आलू - 1 [उबाल कर टुकड़े कर लें ] गोभी का फूल - 1 प्याली  पस्ता मैक्रोनी/pasta macaroni - 400 ग्राम  बाकि सामग्री  मखन /butter - 1 बड़ा चमचा  नमक - 1 चाय का चमचा  काली मिर्च - 1 चाय का चमचा  प्याज - 1 [बारीक़ कटे हुए ] दूध -  1 प्याली  मक्के का आटा/ corn flour - 1 खाने  चमचा  विधि  मखन /butter गर्म कर के प्याज डाल दें। सुर्ख/golden होने दें। उस के बाद  मक्के का आटा/ corn flour डालें। खोलता हुआ दूध डालते जाएं और चमचा तेज़ी से हिलाते जाएं। फिर नमक और काली मिर्च डाल कर सारि उबली हुई सब्जियां मिला दें। इस के बाद  पस्ता मैक्रोनी/pasta macaroni  डाल कर मिनट के लिए ढक कर /दम पर पकाए। कुछ देर पकने दे फिर गरमा-गर्म  पस्ता मैक्रोनी/pasta macaroni   खाएं। 

hazrat muhammad sallallahu alaihi wasallam

Image
  हुज़ूर अक़दस  सल्लाहु-अल्लेह-वसल्लम को गुसुल हज़रत अली कर्म अल्लाह वज़ह ने दिया था।  हुज़ूर अक़दस  सल्लाहु-अल्लेह-वसल्लम की नमाज़े जनाज़ा किसी भी शक्श/आदमी ने नहीं पढाई।  हुज़ूर अक़दस  सल्लाहु-अल्लेह-वसल्लम  की तद्फीन के लिए हज़रत अबू-तलाह अंसारी [राज़ी अल्लाह ताला अन्हा] ने कब्र अतहर तैयार की।  हुज़ूर अक़दस  सल्लाहु-अल्लेह-वसल्लम को इंजील में फार कलेत/فارقلیط  के नाम से याद किया गया है।  हुज़ूर अक़दस  सल्लाहु-अल्लेह-वसल्लम की सब से बड़ी नवासी का नाम امامہ بنت ابو العاص /इमामा बिन्ते अबू-अलआस था।  फारिस का आतिश कदाह / فارس کا آتش کدہ ,जो एक हज़ार साल से जल रहा था।  हुज़ूर अक़दस  सल्लाहु-अल्लेह-वसल्लम की विलादत/वफ़ात से बुझ गया। 

hajj ki fazilat

Image
  नबी करीम सल्लाहु-अल्लेह-वसल्लम ने फ़रमाया जिस ने अल्लाह के लिए हज किया और गुनाह ना किए ,वह ऐसा वापस होगा जैसे इस की माँ ने आज ही इस को जन्म दिया है।  आप सल्लाहु-अल्लेह-वसल्लम ने ये भी इरशाद फ़रमाया के नेकी से भरे हुए हज का बदला जन्त के सिवा  कुछ नहीं। [मश्कूत शरीफ] नेकी से भरा हुआ हज वोह है जो शोहरत और शेखी के लिए ना किया जाए बल्के सिर्फ अल्लाह ताला की राजा मंदी के लिए हो और इस में गुनाहों से परहेज़ /कोई गुनाह ना हो और लड़ाई झगड़ा ना हो। 

story of acharya kripalani / j.b.kripalani

Image
अंग्रेज़ों के ज़माने मुज़फर नगर के सरकारी कोल्लेगे /collage के प्रिंसिपल /principle को एक तार /letter मिला ,'' मैं चम्पारन जा रहा हूँ ,रास्ते में तुम्हारे यहाँ आऊंगा '' यह तार /letter महात्मा गाँधी की तरफ से जिस सरकारी  कोल्लेगे /collage के प्रिंसिपल /principle को आया था उन का नाम था प्रिंसिपल /principle j.b kripalani जो  बाद में ''आचार्य क्रिपालानि ''के नाम से मशहूर /famous हुए। इस वक़्त बिहार के चम्पारन में रहने वाले गरीब किसानो और अमीर जमीन मालिकों के बिच ज़बर्दस्त आन्दोलन चल रहा था। गरीब किसानो का कोई मदद करने वाला नहीं था, क्यू के अमीर जमीन मालिकों को ब्रिटिश सर्कार की मदद हासिल थी। गाँधी जी इस आन्दोलन में किसानों के हक में आवाज़ उठाने के लिए आने वाले थे। किसी सरकारी कोल्लगे  /collage के  प्रिंसिपल /principle के घर  ब्रिटिश  सर्कार के कटर दुश्मन गाँधी जी की आमद एक अजीब बात थी। जैसे ही यह ख़बर  कोल्लेगे /collage के स्टाफ /कर्मचारी में फैली ढ़र के मरे कई लोग वहां से भाग गए के कही उन का नाम सर्कार के दुश्मनो की list / फेहरिस्त म...

QUR'AN

Image
क़ुरान मजीद अल्लाह की वह मुकदस किताब है जो आखरी पैगम्बर/नबी ''हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम '' पर नाज़िल की गई। पूरा क़ुरान शरीफ रामज़ा-नुल मुबारक की लायलत-अल-क़द्र में अल्लाह की तरफ से आसमानी दुन्या पर एक-बारगी नाज़िल हुआ। यह मुकदस किताब इंजील के 360 /तीन सो साठ साल या पांच सो/500 साल बाद नाज़िल हुई। फिर पूरा क़ुरान तैतीस [23] साल में थोड़ा थोड़ा नाज़िल किया गया। सब से पहली सूरेह अलक़ की शुरवाती आयात नाज़िल हुई। क़ुरान मजीद में 83/ सूरतें हिजरत से पहले और 31/ सूरतें हिजरत के बाद में नाज़िल हुई। मदीना शरीफ में जो सूरतें नाज़िल हुई इन को ''मदनी ''केहते हैं और जो मक्का में नाज़िल हुई इन को ''मक्की केहते हैं। क़ुरान पाक में कई अम्बियाए-कराम के नाम, 12 फरिश्तों के नाम, एक इस्लामी महीने का नाम और एक सहाबी-ए रसूल का नाम भी आया है।   

सूरज की गवाही

Image
आधी रात का वक़्त था। हर जगह सनाटा था। अचानक किसी के रोने की आवाज़ सुनाई दी।  राजा राय दिसल रिआया के सुख दुःख को जान-ने के लिए रात के सनाटे में भेस बदल कर घूम रहे थे। जहाँ से आवाज़ आ रही थी। उन के कदम उसी तरफ बढे। जा कर देखते हैं के एक सुनसान चौराहे पर एक आदमी बैठा रो रहा है।  ''क्या बात है ? रोते क्यू हो ?'' राजा राय दिसल ने पूछा। ''क्या बताऊँ ? इस दुन्या में दीन ईमान नाम की कोई चीज़ रही ही नहीं। कहो किस को बताऊँ।'' उस आदमी ने कहा।  ''तो तुम राजा राय दिसल के पास क्यू नहीं जाते ?'' राजा राय दिसल ने कहा। ''कैसे जाऊं ? सिपाही मुझे बाहर से ही भगा देंगे।'' ''नहीं भगाएँगे। लो यह अंगूठी ले लो। कल राय दिसल के सामने जा कर अपने दिल की सारि परेशानियां बता देना। ''येह कह कर उस आदमी को अंगूठी पकड़ा दी। अगले दिन वह आदमी अंगूठी दिखा कर राजा के दरबार में आ पोहंचा और अपनी तकलीफ बताने लगा। ''बापू !मैं एक किसान हूँ। मैं ने नगर सेठ से एक हज़ार कोड्यां /rupees उधार ली थीं। सूद समेत मैं सरे पैसे /कोड्यां वापस कर चूका हु। लेकिन...

Lal bahadur shastri

Image
लाल बहादुर शास्त्री हिंदुस्तान के दूसरे वज़ीरे आज़म /PRIME MINISTER थे आज़ादी के बाद 1951 में वह पंडित जवाहर लाल नेहरू के वक्त में कांग्रेस पार्टी /PARTY के जनरल सेक्रटरी रहे। उन्हों ने 1952 ,1957 और 1962 के इलेक्शन में कांग्रेस पार्टी की भरी वोटों से जीत के लेया काफी मेहनत की। जवाहर लाल नेहरू की मौत के बाद शास्त्री जी ने 9/ जून 1964 को वज़ीरे आज़म / PRIME MINISTER की कुर्सी संभाली।  लाल बहादुर शास्त्री का जनम 2 /अक्टूबर 1904 को UP [उत्तर प्रदेश ]के शेहर मुग़ल सराए में हुआ। उन के पिताजी का नाम मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और माँ का नाम राम दुलारी था। उन के पिताजी पेशे से उस्ताद /teacher थे इस लिए लोग उन्हें मुंशी जी कहते थे। शास्त्री जी घर में सब से छोटे थे इस लिए घर के सब लोग प्यार से उन्हें 'नन्हें 'केह कर बुलाते थे। जब उन की उम्र 18 महीने थी तब ही उन के पिताजी चल बसे। पिताजी के जाने के बाद उन की माँ अपने मइके चली आइ। कुछ दिनों बाद उन के नाना भी चल बसे। लाल बहादुर शास्त्री की परवरिश और उन की तालीम में उन के खालू ''रघु नाथ प्रसाद '' ने उन की...

INJIL [Gospel]

Image
इंजील अल्लाह की वोह मुकदस किताब है जो हज़रत इसा अलेह-सलाम पर नाज़िल गई। ये इब्रानी ज़बान में नाज़िल हुई । इंजील 18 रमजान को नाज़िल हुई। ये किताब ज़बूर के  1050/एक हज़ार पचास साल बाद नाज़िल हुई ,ये जबल-ए-सौर पर नाज़िल हुई। इंजील शरीफ में ऐसी बोहत सी आयात हैं जो हमारे प्यारे नबी के बारे में बताती है, ईसाईयों ने इस किताब में बोहत तहरीफ़ें /changes किए है। हज़रत इसा अलेह-सलाम की पैदाइश /birth place बेतलेहेम bethlehem थी, जो बैतूल-मुकदस / jerusalem  से 8 मिल दूर पर एक बस्ती है। आप /हज़रत इसा अलेह-सलाम और हज़रत मूसा अलेह-सलाम के बिच चार हज़ार/4000 पैगम्बर /नबी गुज़रे और सब के सब हज़रत मूसा अलेह-सलाम की शरीयत के मुहाफ़िज़ /रखवाले थे और उन के अहकाम /आदेश पुरे करने वाले थे।  

ZABUR [Psalms]

Image
  ज़बूर अल्लाह तबारक-व-ताला की वोह मुकदस किताब है जो हज़रत दावूद अलेह-सलाम पर नाज़िल की गई। येह मुकदस किताब रमज़ान शरीफ की बारह/12 या अठरा/18 तारिक को नाज़िल हुई। येह अबरानी ज़बान में नाज़िल की गई थी। येह आसमानी किताब तौरेत के बाद नाज़िल हुई। इस में एक सो पचास/150  सूरतें थीं, सब में दुआ, अल्लाह तबारक-व-ताला की हम्द, उस की तारीफ और अल्लाह तबारक-व-ताला के हुकुम थे। इस आसमानी किताब की सब से बड़ी और लम्बी सूरेह क़ुरान पाक की चैथाई के बराबर थी और सब से छोटी सूरेह क़ुरान पाक की ''सूरह-तूं-नसर '' के बराबर थी। हज़रत दावूद अलेह-सलाम ज़बूर शरीफ को सत्तर/70 आवाज़ों में तिलावत फरमाते /read किया करते थे। हज़रत दावूद अलेह-सलाम हज़रत मूसा अलेह-सलाम से पांच सो उनासी [579] साल बाद और हमारे आका हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाह-हु-अलेह-व-सलम से एक हज़ार आठ सो [1800] साल पेहले तशरीफ़ लाए 

TAWRAT [torah]

Image
तौरेत अल्लाह तबारक-व-ताला की वोह मुकादस किताब जो हज़रत मूसा अलेह सलाम नाज़िल हुई। यह सिरयानी ज़बान में थी। यह आस्मानी किताब 10 /धु अल-हिज्जह नाज़िल हुई। इस किताब के तख्तियां /पन्ने /सफे /pages ज़बरजद [एक कीमती पत्थर ]की थीं। इस में एक हज़ार /1000  सूरतें और हर सूरत में एक हज़ार /1000 आयत थीं। तौरेतके के कुल साथ /7 हिस्से थे। जिस की लम्बाई 10 गज़ थी,इस को ले कर जब हज़रत मूसा अलेह सलाम अपनी कौम की तरफ तशरीफ़ लाए तो कुछ लोगों के जो हज़रत हारून अलेह सलाम के साथ थे उन के अलावह पूरी कौमे-बनी इसराइल को शिर्क /किसी और की पूजा करते हुए पाया। अपनी कौम की येह हरकत/शिर्क देख कर आप बोहत परेशान /रंजीदा हुए आप गुसे में अपने भाई हारून अलेह सलाम की तरफ गए इस दौरान  तौरेत  शरीफ के  तख्तियां / पन्ने /सफे /pages आप के हाँथ से गिर गईं। इस के गिर जाने की वजा से अल्लाह तबारक-व-ताला ने तौरेत छे /6  हिसों को उठा लिया, बाकि एक हिसा जिस में सिर्फ ज़रूरी मसाएल थे बनी इसराइल को मिले। तौरेत का हर जस एक साल में पड़ा जाता था। जिस को सिर्फ हज़रत मूसा अलेह सलाम, हज़रत उज़ैर, हज़रत इसा अलेह सल...

ISLAMI KNOWLEGE

Image
जब ज़कर्या अलेह-सलाम ने औलाद /बच्चे के लिए दुआ की थी तब उन की उम्र 80 साल थी और जब दुआ कुबूल हुई तो उन की उम्र 120 साल थी।  दो नबियों ने शादि नहीं की एक ''हज़रत ईसा अलेह-सलाम'' और दूसरे ''याहिया अलेह-सलाम। दुन्या और आख़िरत में सब से अफ़ज़ल/नेक 5 औरतें है  हज़रत फातिमा राज़ी-अल्लाह ताला अन्हा हज़रत खतीजा राज़ी-अल्लाह ताला अन्हा हज़रत आइशा राज़ी-अल्लाह ताला अन्हा हज़रत आसिया राज़ी-अल्लाह ताला अन्हा और हज़रत मरियम अलेह-सलाम  हज़रत ईसा अलेह-सलाम ने जब कलाम /बात की थी उस वक्त आप की उम्र 3 या 5 दिन थी। 

NABI KI SADGI PART 2

Image
  इसी तरह प्यारे नबी गधे की सवारी भी किया करते थे जब-के उस ज़माने में ऊंट और घोड़े भी थे जो अमीर और बड़े लोगों के पास होते थे और आप ने इन की भी सवारी की है लेकिन आप की सादगी/simplicity गधे की सवारी में ही थी। आप बिना तकलीफ गधे की सवारी किया करते थे। यह आप की सादगी की एक अलामत /निशानी है। आज अगर कोई पैदल चले या साइकल /cycle पर चले तो लोगों की नज़र में वह ''बेचारा ''बन जाता है। लोग अंदाज़ा लगते है की बेचारा गरीब है। लोगों की नज़र में चीज़ों की नुमाइश /display करने वाले इज़त-दार होते है। और सादगी /simplicity अपनाने वाले बेचारे या फिर गरीब होते है। जिन के पास है उन्हें चाहिए की अगर ज़रूरत हो तो car या bike का इस्तेमाल करें लेकिन जहाँ ज़रूरत न हो वहां सादगी/simplicity को इस्तेमाल करना चाहिए मतलब पैदल या फिर ट्रैन जैसी चीज़ों का इस्तेमाल करना चाहिए। आदमी को ज़मीं पर भी कदम रखना चाहिए ता के घमंड का इलाज भी होता रहे। इसी तरहा आप गुलामों की दावत भी कुबूल करते थे। उस ज़माने में गुलामों को छोटा और निचा समझा जाता था। आप उन की इज़त बढ़ाने के लिए और ऊँच निचे का बेध-भाव ख़तम कर...

PYARE NABI KI SADGI/SIMPLICITY PART 1

Image
  हज़रात अनस इब्ने मालिक र . अ फरमाते है के रसूल अल्लाह [सलाह-अलैहे-वसलम ]बीमारों से हमेशा मिलते थे ,जनाज़े में शरीक होते थे ,गधे पर सवारी करते थे और गुलामों की दावत कुबूल करते थे। पैगम्बर/नबी का  मक़ाम खुदा के बाद है दुन्या की बुलंद-तरीन शख्सियत /PERSONALITY होने के बावजू नबी करीम एक आम आदमी की तरह रहते थे। नबी करीम दिखावे की ज़िंदगी से बिलकुल दूर रहते थे और इस का साबुत आप अपने अमाल से दिया करते थे। चुनांचा आप बीमारों से मुलाकात करते और उन को तसल्ली दिया करते थे के आप अच्छे हो जाएंगे उन की सेहत-याबी की दुआ करते थे इस से मरीज़ को अच्छा महसूस होता था। आज यह चीज़ ख़तम हो गई है। दिखावे ने ऐसा घेर रखा है के रिश्तेदारी और तालुकात के क्या हुकूक हैं इन पर अमल करने का वकत ही नहीं है आज के लोगों के पास। जहाँ अपना फाएदा हो वहां हर कोई खड़ा होता है। जहाँ फ़ायदा ना हो वहां कोई भी नबी की सुनत पर अमल नहीं करता।  इसी तरह आप जनाज़े में भी शामिल हुआ करते थे। मरने वाला छोटा हो या बड़ा ,अमीर हो या गरीब आप जनाज़े में ज़रूर शामिल होते थे। आज यह सुनत भी ख़तम होती जा रही है। आप ने बा...

MAA KI MOHABBAT

Image
एक गांव में एक गरीब लड़का अपनी बूढी माँ के साथ रहता था लड़के के बाप का इंतेक़ाल /DEATH इस वक्त हो गया था जब लड़का 11 बरस का था  लड़के के बाप के इंतेक़ाल को अब 9 बरस हो चुके थे इस लड़के का नाम वाजिद था वाजिद के घर में बोहत गरीबी थी वोह सुबहा शाम कड़ी मेहनत कर के अपना और अपनी बूढी माँ का पेट पलटा था  इस गांव का बादशा बोहत ज़ालिम और बे-रेहेम था इस बादशा की पांच बेटियाँ थी उन्हें भी अपने ऊपर घमंड था वाजिद को बादशा की पांच बेटियों में से एक बेटी पसंद आ गई वह सेहज़ादी की मोहब्बत में गिरफ्तार हो गया बादशा यह नहीं चाहता था के वाजिद की शादी सेहज़ादी से हो क्यूँ-ना-के वाजिद गरीब और सेहज़ादी एक सेहेंशा की बेटी वाजिद जब बादशा से इल्तेजा करने लगा तो बादशा तंग आ गया और वाजिद का सर कलम करने का हुकुम दिया इसी वकत सेहज़ादी ने शर्त राखी के अगर तुम अपनी माँ का कलेजा निकाल ले आओ तो मैं तुम से शादी करने को तैयार हूँ सेहज़ादी वाजिद का इम्तेहान /TEST ले रही थी वाजिद घर गया और अपनी माँ को मार कर उस का कलेजा निकल कर के सेहज़ादी को देने निकला और मेहेल पोहंचा तो सेहज़ादी देख कर दांग रह गई और ज़ोर से ...

INTELLIGENT SON

Image
  पुराने ज़माने की बात है किसी गाओं में एक ज़मीन-दार रहता था वह बोहत नेक और अकल्मन्द था इस का एक बेटा भी बोहत अकल्मन्द था। इस के अलावा ज़मीन-दर के दो और बेटे थे। एक दिन वह सोच रहा था की तीनो बेटों में से किस को अपना वारिस बनाए ,इसे एक तरकीब /IDEA आया।    ज़मीन-दर ने अपने तीनो बेटों का इम्तेहान /TEST लेने के लिए तीनो को एक-एक रुपए दिया और कहा जाओ इस से अपने लिए खाना और मुरगी/CHICKEN  के लिए दाना और बकरी /GOAT के लिए चारा ले आना। तीनो भाई एक-एक रुपए ले कर बाजार गए लेकिन इन के लिए मुश्किल यह थी के एक रुपए में अगर बकरी के लिए खाना और मुरगी के लिए दाना ले लेते तो कुध भूके रेह जाते।   बड़े और मंजले भाई की समझ में येह नहीं आया के क्या करें आखिर उन्हों ने पेट भर कर खाना खा लिया और बकरी और मुर्गी के लिए कुछ नहीं लिया। खा-पि कर दोनों घर आ गए बाप ने बेटों को खाली हाँथ देखा तो पूछा तुम ने एक रुपए का क्या किया ? दोनों ने एक ही जवाब दिया एक रुपए में हम ने बड़ी मुश्कील से पेट भर कर खाना खाया इस लिए हम मुरगी और बकरी के लिए कुछ नहीं ला पाए...

BULAND DARWAZA

Image
  UP के जिला आगरा/AGRA में फ़तेह-पुर सेकरि /FATEHPUR SIKRI नामी मक़ाम पर 1576 में अकबर ने [''बुलंद बरवाज़ा ''] नाम से एक अज़ीम बुलंद दरवाज़े की तामीर/BUILT कराइ। इस की तामीर गुजरात की फ़तेह की ख़ुशी में की गई। यह दुन्या का सब से बड़ा दरवाज़ा होने के साथ-साथ MUGHAL ARCHITECTURE की ज़िंदा मिसाल है। अकबर-ए आज़म ने बेटे सेहज़ादे सलीम के जनम के लिए यहीं दुआ की थी। यहाँ मशहूर बुज़ुर्ग सलीम चिस्ती रेहमतु-लाह अलेह की मज़ार है। उन्ही के नाम पर सेहज़ादे का नाम सलीम रखा गया। बुलंद दरवाज़ा मज़ार के करीब ही बना हुआ है। इस दरवाज़े की ऊंचाई/HEIGHT ज़मीन से 54 मीटर्स/MITERS है। जो के लग-भग 15 मंज़िला ईमारत के बराबर ऊँचा है। लगातार बारह /12 सालों की शदीद मेहनत के बाद इस की तामीर मुक़मल /COMPLETE हुई। 

HAZRAT ALI .R.A

Image
सब  से मामूली दर्जे का इल्म वह है जो ज़बान पर हो और बुलंद-तरीन वो जो अमाल से ज़ाहिर हो [हज़रात अली र.अ./ Hazrat ali razi-anha-tala ] अगर कोई आपका दिल दुखाए तोह उसे बुरा मत कहो कुएँके हज़रात अली फरमाते है के लोग सब से ज़्यादा पत्थर पेड़ पे लगे उसी फल को मारते हैं जो सब से खूबसूरत और लज़ीज़ /टेस्टी /testy होता है   ए सूरज गवाह रेहना के हमेशा हज़रात अली ने तुझे उभरता देखा है मगर ,तूने हज़रात अली को सोता नहीं पाया 

JAMA MASJID

Image
Jama masjid mughal king shah jahan ne year 1656 me capital of india means delhi me ban-waya tha.  Hindustan ki azim /badi aur khubsurat jama masjid ''masjid jahan numa''se bhi mashur/famous thi per ab sab is masjid ko jama masjid se zayada jante hai .Is masjid me ek sath means on a one time 25000 /twenty five thousand peoples ek sath namaz padh sakte hai . Is masjid ke 3/three doors/darwaza , 2 /two beautiful aur mazbut minar aur 3 /tree gumbad hai. shah jahan ke zamane/time se hi ek maruf  mohajir family is ki dekh-rekh aaj tak kar rahi hai. jama masjid tourist ke lea ek khaas pasand ki jane wali jagah hai  Aaj bhi yeh masjid mughalya period ki ek important place hai jo mughal empire ko bhot khubsurati se disply karti hai