MAA KI MOHABBAT



एक गांव में एक गरीब लड़का अपनी बूढी माँ के साथ रहता था लड़के के बाप का इंतेक़ाल /DEATH इस वक्त हो गया था जब लड़का 11 बरस का था  लड़के के बाप के इंतेक़ाल को अब 9 बरस हो चुके थे इस लड़के का नाम वाजिद था वाजिद के घर में बोहत गरीबी थी वोह सुबहा शाम कड़ी मेहनत कर के अपना और अपनी बूढी माँ का पेट पलटा था 
इस गांव का बादशा बोहत ज़ालिम और बे-रेहेम था इस बादशा की पांच बेटियाँ थी उन्हें भी अपने ऊपर घमंड था वाजिद को बादशा की पांच बेटियों में से एक बेटी पसंद आ गई वह सेहज़ादी की मोहब्बत में गिरफ्तार हो गया बादशा यह नहीं चाहता था के वाजिद की शादी सेहज़ादी से हो क्यूँ-ना-के वाजिद गरीब और सेहज़ादी एक सेहेंशा की बेटी वाजिद जब बादशा से इल्तेजा करने लगा तो बादशा तंग आ गया और वाजिद का सर कलम करने का हुकुम दिया इसी वकत सेहज़ादी ने शर्त राखी के अगर तुम अपनी माँ का कलेजा निकाल ले आओ तो मैं तुम से शादी करने को तैयार हूँ सेहज़ादी वाजिद का इम्तेहान /TEST ले रही थी वाजिद घर गया और अपनी माँ को मार कर उस का कलेजा निकल कर के सेहज़ादी को देने निकला और मेहेल पोहंचा तो सेहज़ादी देख कर दांग रह गई और ज़ोर से बोली चले जाओ यहाँ से जो इंसान अपनी माँ की ममता से भरी मोहब्बत का न हुआ वह मेरा क्या होगा और उसे धका दे कर महल से बाहर निकल दिया गया वह रोता  हुआ की उस ने अपनी माँ का खून कर दिया बोहत पच्ता रहा था के रास्ते में वाजिद को एक बड़े से पत्थर से ज़ोर दर चोट लगी और माँ का कलेजा हाँथ से छूट कर गिर गया इसी वक्त कलेजे से आवाज़ आइ 
'' बीटा चोट तो नहीं लगी ''


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