SACHI HAKIKAT
ज़िंदगी अल्लाह की तरफ से दी हुई एक अज़ीम नेमत है।अगर ज़िंदगी है तो मौत भी बरहक़ /CONFORM है। ज़िंदगी और मौत के फेसले अल्लाह तलाह के सिवा कोई नहीं कर सकता। दुन्या और आख़िरत की हर चीज़ पर वह कादिर है। इंसान की ज़िंदगी की शुरुआत /STARTING एक ना-पाक पानी के कतरे से होती है। जिस का ज़िकर अल्लाह तलाह ने कुरआन-ए मजीद के सूरेह हदीद में कर दिया है। इंसानी ज़िंदगी चंद रोज़ की ज़िंदगी है जो सिर्फ कुछ दिनों तक ही रहेगी। आज तक ऐसा कोई नहीं आया जिस ने मौत का मज़ा न चखा हो। अल्लाह तलाह ने पुरे कुरआन-ए मजीद में तीन जगा फरमा दिया के हर जीवन पाने वाले को मौत का मज़ा चखना है। मौत बरहक़ /CONFORM है। इसे दुन्या की किसी भी ताकत से टाला नहीं जा सकता। मौत सच्ची हकीकत है। दुन्या में आने वाले इंसान को अपना नाम ,मकान और लिबास शानदार करने की फ़िक्र होती है। लेकिन मौत के बाद सिर्फ अमले-सलिहा और अल्लाह की राजा ही काम आ सकती है। आख़िरत में नेकी का इनाम और गुनाहों का बदला मिलता है। ज़िंदगी और मौत के दरमियाँ/BETWEEN सिर्फ दो फर्क है।
- दुनयावी ज़िंदगी झूटी हकीकत और आख़िरत की ज़िंदगी सच्ची है।
- दुनयावी ज़िंदगी LIMITED /महदूद और फानी /ख़तम होने वाली है और आख़िरत की ज़िंदगी लामहदूद /UNLIMITED और गेर फानी /कभी ख़तम न होने वाली है।
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