hazrat muhammad sallallahu alaihi wasallam
हुज़ूर अक़दस सल्लाहु-अल्लेह-वसल्लम को गुसुल हज़रत अली कर्म अल्लाह वज़ह ने दिया था। हुज़ूर अक़दस सल्लाहु-अल्लेह-वसल्लम की नमाज़े जनाज़ा किसी भी शक्श/आदमी ने नहीं पढाई। हुज़ूर अक़दस सल्लाहु-अल्लेह-वसल्लम की तद्फीन के लिए हज़रत अबू-तलाह अंसारी [राज़ी अल्लाह ताला अन्हा] ने कब्र अतहर तैयार की। हुज़ूर अक़दस सल्लाहु-अल्लेह-वसल्लम को इंजील में फार कलेत/فارقلیط के नाम से याद किया गया है। हुज़ूर अक़दस सल्लाहु-अल्लेह-वसल्लम की सब से बड़ी नवासी का नाम امامہ بنت ابو العاص /इमामा बिन्ते अबू-अलआस था। फारिस का आतिश कदाह / فارس کا آتش کدہ ,जो एक हज़ार साल से जल रहा था। हुज़ूर अक़दस सल्लाहु-अल्लेह-वसल्लम की विलादत/वफ़ात से बुझ गया।